एनपीएस में निवेश बढ़ाने के 5 आसान तरीके – जुलाई 2025 अपडेट

एनपीएस में निवेश बढ़ाने के तरीके - वित्तीय सुरक्षा की दिशा में कदम

हाय दोस्तों! आज हम बात करेंगे एनपीएस में निवेश बढ़ाने के तरीके के बारे में। राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) सिर्फ टैक्स बचत का जरिया नहीं, बल्कि आपकी रिटायरमेंट लाइफ की सुरक्षा गारंटी है। जुलाई 2025 के नए अपडेट्स के साथ, मैं आपको 5 प्रैक्टिकल स्टेप्स बताऊंगा जिनसे आप बिना बजट स्ट्रेस के अपने एनपीएस निवेश को बूस्ट कर सकते हैं। साथ ही जानेंगे कि टियर-1 और टियर-2 अकाउंट्स को स्मार्टली कैसे मैनेज करें, रिटर्न्स कैसे ऑप्टिमाइज़ करें, और नए टैक्स बेनिफिट्स का फायदा कैसे उठाएं। चलिए शुरू करते हैं!

1. एनपीएस निवेश में ऑटो-इन्क्रीमेंट का जादू

अगर आपकी सैलरी हर साल बढ़ती है तो आपका एनपीएस निवेश भी उसी रेट से बढ़ना चाहिए। जुलाई 2025 से NPS सब्सक्राइबर्स के लिए ऑटो-इन्क्रीमेंट ऑप्शन आसान हुआ है। आप अपने POP-SP (प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस सर्विस प्रोवाइडर) को निर्देश दे सकते हैं कि हर साल आपकी कंट्रीब्यूशन में 5%, 10% या 15% का ऑटोमैटिक इन्क्रीमेंट करें। यह सुविधा SIP की तरह काम करती है। मान लीजिए आप महीने के ₹5,000 निवेश करते हैं और 10% ऑटो-इन्क्रीमेंट सेट करते हैं, तो अगले साल यह ₹5,500 हो जाएगा।

कम्पाउंडिंग का फायदा इस तकनीक से मिलता है। छोटी-छोटी बढ़ोतरी लंबे समय में बड़ा अंतर लाती हैं। उदाहरण के लिए, 30 साल की उम्र से ₹5,000/महीना शुरू करके 10% सालाना इन्क्रीमेंट के साथ 60 साल की उम्र तक आपकी टोटल कंट्रीब्यूशन ₹42 लाख होगी, लेकिन एवरेज 9% रिटर्न पर कॉर्पस बन जाएगा ₹3.2 करोड़! यह तरीका विशेषकर युवा निवेशकों के लिए फायदेमंद है।

एनपीएस ऑटो-इन्क्रीमेंट का दृश्य: ग्राफ़ पर बढ़ती हुई निवेश रेखा

ऑटो-इन्क्रीमेंट सेट करने के लिए आपको NSDL की वेबसाइट पर जाकर ‘ट्रैक एनपीएस’ सेक्शन में रिक्वेस्ट सबमिट करनी होगी। ध्यान रखें कि यह सुविधा केवल टियर-1 अकाउंट के लिए उपलब्ध है। अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं तो HR डिपार्टमेंट से बात करके सैलरी स्लिप के साथ ही इन्क्रीमेंट लिंक करवा सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों के लिए तो यह ऑटोमैटिक होता है।

प्रमुख बात: ऑटो-इन्क्रीमेंट सेट करने में 5 मिनट लगते हैं, लेकिन यह आपकी रिटायरमेंट कॉर्पस को 25-40% तक बढ़ा सकता है। बस एक बार सेट करें और फिर भूल जाएँ – यही इसकी खूबसूरती है। हालांकि, हर 3 साल पर रिव्यू जरूर करें कि इन्क्रीमेंट रेट आपकी वर्तमान इनकम के अनुकूल है या नहीं।

2. एनपीएस रिटर्न्स बढ़ाने के लिए एसेट मिक्स ऑप्टिमाइज़ेशन

एनपीएस की सबसे बड़ी ताकत है एसेट एलोकेशन की लचीलाता। आप अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से इक्विटी (E), कॉरपोरेट बॉन्ड (C), गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G) और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (A) में निवेश तय कर सकते हैं। जुलाई 2025 तक के डेटा के अनुसार, इक्विटी फंड्स ने पिछले 5 साल में 11.2% का एवरेज रिटर्न दिया है, जबकि गवर्नमेंट फंड्स ने 8.3%।

युवा निवेशकों के लिए सलाह है कि वे इक्विटी में ज्यादा एक्सपोजर लें। NPS नियमों के मुताबिक, 50 साल तक की उम्र तक आप अपने फंड का 75% तक इक्विटी में लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपकी उम्र 30 साल है और रिस्क लेने की क्षमता अधिक है तो एसेट मिक्स हो सकता है: E-75%, C-10%, G-10%, A-5%। वहीं 50+ उम्र के लोगों को डेट इंस्ट्रूमेंट्स में ज्यादा निवेश करना चाहिए।

लाइफस्टेज फंडिंग एक स्मार्ट ऑप्शन है जहाँ आपकी उम्र बढ़ने के साथ-साथ फंड मैनेजर ऑटोमैटिक रूप से इक्विटी एक्सपोजर कम करता जाता है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के 2025 के अपडेट के अनुसार, अब आप साल में दो बार एसेट एलोकेशन में बदलाव कर सकते हैं (पहले साल में एक बार ही अनुमति थी)। इसका फायदा उठाकर मार्केट कंडीशन के हिसाब से बैलेंस बनाए रखें।

गोल्डन रूल: हर साल दिवाली पर अपने एनपीएस पोर्टफोलियो की हेल्थ चेक करें। अगर इक्विटी सेक्टर अच्छा परफॉर्म कर रहा है तो प्रॉफिट बुकिंग के लिए कुछ पर्सेंटेज डेट फंड्स में शिफ्ट कर दें। रिटायरमेंट के 5 साल पहले से ही गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में शिफ्ट होना शुरू कर दें ताकि मार्केट वोलेटिलिटी का रिस्क कम हो।

3. टैक्स बचत एनपीएस के साथ एक्स्ट्रा लाभ कैसे पाएं?

एनपीएस सबसे पावरफुल टैक्स सेविंग टूल्स में से एक है। सेक्शन 80CCD(1) के तहत आप अपनी सालाना इनकम का 10% तक (सैलरीड क्लास के लिए) या ₹1.5 लाख तक (सेल्फ-एम्प्लॉयड) कटौती पा सकते हैं। इसके अलावा सेक्शन 80CCD(1B) में अतिरिक्त ₹50,000 की छूट मिलती है। यानी टोटल ₹2 लाख तक की टैक्स डिडक्शन! जुलाई 2025 में CBDT ने क्लैरिफाई किया है कि अगर आप टियर-2 अकाउंट में निवेश करते हैं तो उस पर भी टैक्स बेनिफिट मिल सकता है अगर लॉक-इन पीरियड 3 साल पूरा हो गया हो।

एनपीएस टैक्स बचत के फायदे: टैक्स कैलकुलेशन चार्ट के साथ इन्फोग्राफिक

स्मार्ट इन्वेस्टर्स टैक्स प्लानिंग साल की शुरुआत में ही कर लेते हैं। मान लीजिए आपका सालाना सैलरी ₹12 लाख है तो हर महीने कम से कम ₹12,500 NPS में डालें (₹1.5 लाख/12)। इससे आपकी टैक्सेबल इनकम ₹10.5 लाख हो जाएगी। अगर आप टॉप-अप करके ₹50,000 और जोड़ते हैं तो टैक्सेबल इनकम घटकर ₹10 लाख रह जाती है। नए अपडेट के मुताबिक, अब आप फाइनेंशियल ईयर के आखिरी दिन (31 मार्च) तक भी कंट्रीब्यूशन कर सकते हैं और टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकते हैं।

टियर-2 अकाउंट पर भी ध्यान दें। हालाँकि इसमें टैक्स बेनिफिट सीमित है, लेकिन अगर आप 3 साल तक पैसे नहीं निकालते हैं तो सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। इसका उपयोग शॉर्ट-टर्म फाइनेंशियल गोल्स जैसे कार खरीदना या बच्चों की पढ़ाई के लिए कर सकते हैं। याद रखें: टियर-1 पर प्राथमिकता दें क्योंकि उसमें टैक्स सेविंग ज्यादा है।

2025 के नए टैक्स रेजीम में भी एनपीएस फायदेमंद है। अगर आप न्यू टैक्स रेजीम चुनते हैं तब भी सेक्शन 80CCD(2) के तहत एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन (आपकी बेसिक सैलरी का 14%) टैक्स फ्री रहता है। यह बेनिफिट सीधे टियर-1 अकाउंट में जाता है। कंपनी से मैचिंग कंट्रीब्यूशन पाने के लिए HR डिपार्टमेंट से फॉर्मल रिक्वेस्ट जरूर करें।

4. एनपीएस टियर 1 और टियर 2 अकाउंट्स को सिंक्रोनाइज़ कैसे करें?

एनपीएस की खासियत है इसका दो-टियर स्ट्रक्चर। टियर-1 मुख्य रिटायरमेंट अकाउंट है जहाँ पैसे 60 साल की उम्र तक लॉक रहते हैं (कुछ एक्सेप्शनल केस में ही पहले निकाल सकते हैं)। वहीं टियर-2 अकाउंट एक फ्लेक्सिबल सेविंग अकाउंट की तरह है जहाँ आप कभी भी पैसे निकाल सकते हैं। स्मार्ट इन्वेस्टर्स दोनों को कॉम्बिनेशन में यूज करते हैं।

मेरी सलाह है कि टियर-1 में कम से कम ₹1,000/महीना जरूर डालें (यह मिनिमम रिक्वायरमेंट है)। बाकी बचत का एक हिस्सा टियर-2 में डालें। क्यों? क्योंकि टियर-2 अकाउंट से आप इमरजेंसी फंड के तौर पर पैसे निकाल सकते हैं, जबकि टियर-1 का पैसा सख्ती से रिटायरमेंट के लिए रिजर्व रहता है। PFRDA के 2025 के नियमों के मुताबिक, अब आप टियर-1 से टियर-2 में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं (पहले ऐसा नहीं था), लेकिन साल में सिर्फ एक बार और अधिकतम 25% तक ही।

फंड अलोकेशन में भी दोनों अकाउंट्स के लिए अलग-अलग स्ट्रैटेजी अपनाएँ। टियर-1 में अधिक रिस्क लेकर इक्विटी में ज्यादा निवेश करें। टियर-2 में कंजर्वेटिव ऑप्शन जैसे गवर्नमेंट सिक्योरिटीज या डेट फंड्स चुनें क्योंकि यहाँ आपको कम समय में पैसे निकालने की जरूरत पड़ सकती है। हर साल दोनों अकाउंट्स के परफॉर्मेंस की तुलना करें और जरूरत पड़ने पर एडजस्ट करें।

प्रो टिप: टियर-2 अकाउंट को अपना ‘फाइनेंशियल स्विस आर्मी नाइफ’ बनाएँ – मल्टीपल उद्देश्यों के लिए तैयार! उदाहरण के लिए, बच्चे की हायर एजुकेशन के लिए 5 साल का गोल हो तो टियर-2 में अलग से फंड अलोकेट करें। जबकि टियर-1 सिर्फ और सिर्फ आपकी गोल्डन ईयर्स के लिए काम करेगा। दोनों को सिंक्रोनाइज़ करने से आपको लिक्विडिटी और लॉन्ग-टर्म ग्रोथ दोनों का फायदा मिलता है।

5. पेंशन योजना 2025 में एक्टिव मैनेजमेंट के 3 स्टेप्स

एनपीएस ‘फंड और भूल जाओ’ वाला स्कीम नहीं है। नए अपडेट्स के साथ सक्रिय मैनेजमेंट जरूरी है। पहला स्टेप है – सालाना फंड परफॉर्मेंस रिव्यू। PFRDA की वेबसाइट पर जाकर अपने चुने हुए पेंशन फंड मैनेजर्स (PFMs) के रिजल्ट चेक करें। जुलाई 2025 के आँकड़ों के अनुसार, टॉप परफॉर्मिंग PFMs हैं: SBI Pension Fund (1 साल का रिटर्न: 12.8%), HDFC Pension (12.1%), और ICICI Pru Pension (11.9%)।

दूसरा कदम है फंड मैनेजर बदलना। अगर आपका PFM लगातार 2 साल तक एवरेज से कम परफॉर्म कर रहा है तो स्विच करने में हिचकिचाएँ नहीं। NSDL की वेबसाइट पर ‘चेंज पीएफएम’ का ऑप्शन मिल जाएगा। ध्यान रखें कि साल में सिर्फ एक बार ही मैनेजर बदल सकते हैं। स्विच करते समय एसेट अलोकेशन को रीसेट न होने दें – नए मैनेजर को भी वही एलोकेशन रेश्यो मेंटेन रखने का निर्देश दें।

तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है नॉमिनी और एक्जिट ऑप्शन अपडेट करना। जीवन में बड़े बदलाव (शादी, बच्चे का जन्म, तलाक आदि) होने पर नॉमिनी डिटेल्स जरूर अपडेट करें। PFRDA ने 2025 में एक्जिट रूल्स में ढील दी है – अब 60 साल के बाद आप 100% कॉर्पस निकाल सकते हैं (पहले 60% ही निकाल सकते थे, बाकी के लिए एन्युइटी खरीदनी पड़ती थी)। इससे टैक्स प्लानिंग आसान हुई है।

क्रिटिकल अपडेट: अब आप ऑनलाइन ही ‘इलेक्ट्रॉनिक प्रिज़ेंस वेरिफिकेशन’ (e-PV) के जरिए KYC अपडेट कर सकते हैं, बैंक जाने की जरूरत नहीं। इससे समय की बचत होती है। साथ ही, मोबाइल ऐप के जरिए सालाना स्टेटमेंट चेक करने की आदत डालें। रिटायरमेंट के 2 साल पहले से ही एक्जिट स्ट्रैटेजी बनाना शुरू कर दें – कितना पैसा एन्युइटी में डालना है और कितना लम्पसम निकालना है, इसका प्लान पहले से तैयार रखें।

6. एनपीएस में अधिक रिटर्न पाने के लिए टॉप 3 युक्तियाँ

पहली युक्ति: अर्ली विदड्रॉल से बचें। एनपीएस में अगर आप 60 साल से पहले पैसे निकालते हैं तो सख्त नियम हैं। आप सिर्फ 20% ही निकाल सकते हैं और बाकी 80% से एन्युइटी खरीदनी पड़ती है। इसके अलावा, अगर आपने टैक्स बेनिफिट लिया है तो अर्ली विदड्रॉल पर पेनल्टी भी देनी पड़ सकती है। हालाँकि PFRDA ने कुछ स्पेशल केस (जैसे गंभीर बीमारी, बच्चे की शादी) में राहत दी है, लेकिन बेहतर है कि इमरजेंसी के लिए टियर-2 अकाउंट या अलग से इमरजेंसी फंड बनाएँ।

दूसरा मंत्र: एन्युइटी ऑप्शन स्मार्टली चुनें। रिटायरमेंट के समय आपको पूरे कॉर्पस का अधिकतम 60% ही लम्पसम मिलता है (नए नियमों में 100% भी ले सकते हैं, लेकिन पूरा निकालने पर टैक्स लगेगा)। बाकी के लिए एन्युइटी खरीदनी होती है। 2025 में बेस्ट एन्युइटी ऑप्शन्स हैं: लाइफ लॉन्ग फिक्स्ड पेमेंट्स, जॉइंट लाइफ एन्युइटी (पति-पत्नी दोनों के लिए), या इंफ्लेशन-लिंक्ड एन्युइटी। अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों के रेट्स कंपेयर जरूर करें।

तीसरी सबसे जरूरी बात: गवर्नमेंट और प्राइवेट फंड्स का कॉम्बो। एनपीएस में दो तरह के फंड्स होते हैं – सरकारी (गवर्नमेंट) और गैर-सरकारी (प्राइवेट)। गवर्नमेंट फंड्स ज्यादातर सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करते हैं जो सुरक्षित होते हैं लेकिन रिटर्न थोड़ा कम देते हैं। प्राइवेट फंड्स में इक्विटी एक्सपोजर ज्यादा होता है। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि 40-60% फंड गवर्नमेंट और 60-40% प्राइवेट में डालें। यह बैलेंस रिस्क और रिटर्न दोनों को ऑप्टिमाइज़ करता है।

बोनस टिप: अगर आप सेल्फ-एम्प्लॉयड हैं तो वॉलंटरी कंट्रीब्यूशन (VC) का फायदा उठाएँ। इसमें आप साल के किसी भी समय एकमुश्त अतिरिक्त निवेश कर सकते हैं। खासकर जब मार्केट करेक्शन में हो तो VC करके यूनिट्स सस्ते में खरीदें। 2025 में PFRDA ने VC की मिनिमम राशि घटाकर ₹500 कर दी है। याद रखें: छोटी-छोटी एकमुश्त रकम भी लंबे समय में बड़ा फर्क लाती हैं!

FAQs: सरकारी पेंशन योजना Qs

A: बिल्कुल! हालांकि आपको कम समय मिलेगा, पर एनपीएस निवेश अब भी फायदा देगा। 50 साल की उम्र में ₹10,000/महीना डालकर 60 तक ₹12 लाख कंट्रीब्यूशन देंगे। 9% रिटर्न पर कॉर्पस होगा लगभग ₹19 लाख। साथ ही, आपको टैक्स बचत का फायदा मिलेगा। बस एसेट एलोकेशन में डेट फंड्स को प्राथमिकता दें।

A: हाँ, बिल्कुल सुरक्षित है क्योंकि यह PFRDA द्वारा रेगुलेटेड है। हालाँकि, एनपीएस टियर 1 और टियर 2 दोनों में मार्केट रिस्क रहता है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए गवर्नमेंट फंड्स या डेट ऑप्शन चुनें। टियर-2 में पैसे निकालने की सुविधा है, लेकिन 3 साल पूरे होने पर ही टैक्स बेनिफिट मिलता है।

A: नहीं, एनपीएस रिटर्न्स मार्केट लिंक्ड होते हैं, इसलिए गारंटीड नहीं हैं। पिछले 10 साल का एवरेज रिटर्न 9-10% रहा है। गवर्नमेंट फंड्स में उतार-चढ़ाव कम होता है, जबकि इक्विटी फंड्स में रिटर्न ज्यादा हो सकता है पर रिस्क भी अधिक है। रिटर्न बढ़ाने के लिए लंबी अवधि का निवेश जरूरी है।

A: हाँ! तीन तरीके हैं: 1) अपना सालाना कंट्रीब्यूशन बढ़ाएँ 2) एनपीएस में अधिक रिटर्न के लिए एसेट एलोकेशन में इक्विटी का प्रतिशत बढ़ाएँ (रिस्क कैपेसिटी के अनुसार) 3) रिटायरमेंट के समय लम्पसम की जगह ज्यादा पैसा एन्युइटी में डालें। इंफ्लेशन-एडजस्टेड एन्युइटी चुनकर पेंशन को समय के साथ बढ़ा सकते हैं।

A: NSDL की वेबसाइट (enps.nsdl.com) या ‘NPS by NSDL’ मोबाइल ऐप पर लॉग इन करें। यहाँ आप कंट्रीब्यूशन जमा कर सकते हैं, एनपीएस निवेश युक्तियाँ देख सकते हैं, फंड मैनेजर बदल सकते हैं, नॉमिनी अपडेट कर सकते हैं और स्टेटमेंट डाउनलोड कर सकते हैं। e-SOT और e-PRAN जैसी सुविधाओं से सब कुछ डिजिटल हो गया है।

अंतिम सुझाव: जुलाई 2025 की अपडेटेड रणनीति

दोस्तों, एनपीएस में निवेश बढ़ाने के तरीके सीखकर आपने अपने भविष्य की सबसे बड़ी चिंता दूर कर दी! याद रखें: छोटी शुरुआत भी बड़ा बदलाव ला सकती है। आज ही एक एक्शन प्लान बनाएँ – चाहे वह ऑटो-इन्क्रीमेंट सेट करना हो, एसेट मिक्स रिव्यू करना हो, या टैक्स बेनिफिट का पूरा फायदा उठाना हो। अगर 40 साल से कम उम्र के हैं तो इक्विटी एक्सपोजर बढ़ाएँ। नियमित रूप से निवेश करें और धैर्य रखें। आपका आज का समझदार निवेश, कल की आपकी खुशहाली की नींव है!

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