
हाय दोस्तों! आज हम बात करने वाले हैं भारत सरकार की एक ऐतिहासिक योजना के बारे में जो गरीबों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है। क्या आप जानते हैं कि अब प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों को मुफ्त हेल्थ कवर मिलेगा? इस पोस्ट में हम डिटेल से समझेंगे कि यह भारत की नई बीमा नीति कैसे काम करेगी, किसे मिलेगा लाभ और कैसे करना होगा रजिस्ट्रेशन। साथ ही जानेंगे कि यह पुरानी आयुष्मान भारत योजना से कितनी अलग है। चलिए शुरू करते हैं!
भारत की नई बीमा नीति क्या है? मुफ्त हेल्थ कवर की पूरी जानकारी
योजना का मुख्य उद्देश्य और लॉन्च
15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री ने लाल किले से घोषणा की कि देश के सबसे गरीब 10.74 करोड़ परिवारों को मुफ्त हेल्थ कवर मिलेगा। यह भारत की नई बीमा नीति वास्तव में आयुष्मान भारत PM-JAY का विस्तारित संस्करण है जिसमें कवरेज राशि 5 लाख रुपये प्रति परिवार प्रति वर्ष तय की गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस योजना पर सरकार 2025-26 में 12,500 करोड़ रुपये खर्च करेगी जो पिछली योजना से 40% अधिक है।
कवरेज विवरण और बीमा लाभ
इस सरकारी स्वास्थ्य योजना में 1,574 मेडिकल प्रक्रियाएं कवर की गई हैं जिनमें कार्डियक सर्जरी, कैंसर उपचार, न्यूरो सर्जरी और पॉलिसिस्ट किडनी जैसी महंगी बीमारियां शामिल हैं। बीमा लाभ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें प्री-हॉस्पिटलाइजेशन और पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन खर्च भी कवर किए जाते हैं। स्वास्थ्य सुरक्षा के इस कदम से हर साल लगभग 5 करोड़ लोगों को लाभ मिलने का अनुमान है।
इस नीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई प्रीमियम नहीं देना होता और पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित है।

पात्र परिवारों की पहचान कैसे होगी?
सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011 के आधार पर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के गरीब परिवारों को इस गरीबों के लिए बीमा योजना में शामिल किया गया है। पात्रता के लिए मुख्य मानदंड हैं – भूमिहीन मजदूर, असंगठित क्षेत्र के कामगार, SC/ST परिवार और विकलांग व्यक्ति। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के आंकड़ों के अनुसार 60% लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्रों से और 40% शहरी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले होंगे।
कैसे काम करती है यह गरीबों के लिए बीमा योजना?
पात्रता मानदंड की पूरी जानकारी
इस स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ लेने के लिए परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में 1.5 लाख रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। परिवार की परिभाषा में माता-पिता और अविवाहित बच्चे शामिल हैं। आवेदक के पास आधार कार्ड और जनधन खाता होना अनिवार्य है। नि:शुल्क इलाज का लाभ लेने के लिए अस्पताल में रजिस्ट्रेशन के समय ई-कार्ड और आधार प्रस्तुत करना होगा।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया चरण-दर-चरण
सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट pmjay.gov.in पर जाकर ‘अम आई एलिजिबल’ सेक्शन में अपना मोबाइल नंबर डालें। आपके नाम पर पंजीकृत आधार नंबर पर ओटीपी आएगा। सत्यापन के बाद आपको पता चल जाएगा कि आपका परिवार लाभ के लिए पात्र है या नहीं। पात्र पाए जाने पर आंगनवाड़ी केंद्र या कॉमन सर्विस सेंटर से अपना भारत की नई बीमा नीति ई-कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।
पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पेपरलेस है जिससे पारदर्शिता बनी रहती है और मध्यस्थों की भूमिका समाप्त होती है।

अस्पताल में कैशलेस इलाज की प्रक्रिया
लाभार्थी को नजदीकी एमरजेंसी में पीएमजेएयी से जुड़े किसी भी अस्पताल में जाना है। वहां ई-कार्ड और आधार के आधार पर वेरिफिकेशन होगा। डॉक्टर द्वारा जरूरी जांच और उपचार तय करने के बाद अस्पताल सीधे नेशनल हेल्थ अथॉरिटी से भुगतान का क्लेम करेगा। मरीज को किसी प्रकार का भुगतान नहीं करना पड़ता। इस सरकारी बीमा नीति के तहत दवाइयों, टेस्टों और सर्जरी का पूरा खर्च सरकार वहन करती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा उपलब्धता
ग्रामीण इलाकों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (HWCs) को इस योजना के नोडल पॉइंट बनाया गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टेलीमेडिसिन सुविधा के जरिए बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों से परामर्श किया जा सकता है। आशा कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर लोगों को इस मुफ्त हेल्थ कवर के बारे में जागरूक कर रही हैं और रजिस्ट्रेशन में मदद कर रही हैं।
स्वास्थ्य बीमा योजना के मुख्य लाभ और विशेषताएं
वित्तीय सुरक्षा का विस्तृत कवर
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत है 5 लाख रुपये तक का वार्षिक बीमा लाभ जो परिवार के सभी सदस्यों के लिए सामूहिक रूप से उपलब्ध है। कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज पर अक्सर परिवार की सारी बचत खत्म हो जाती है, लेकिन अब ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सुरक्षा का यह कवच काम आएगा। गंभीर बीमारियों के इलाज में यह राशि बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि भारत में 86% ग्रामीण परिवारों की वार्षिक आय 1.5 लाख से कम है।
यह योजना उन लाखों परिवारों के लिए वरदान है जो मेडिकल खर्चों के कारण हर साल गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं।
प्री-एक्जिस्टिंग बीमारियों को कवर
अधिकांश निजी बीमा कंपनियां प्री-एक्जिस्टिंग बीमारियों को कवर नहीं करतीं, लेकिन इस सरकारी स्वास्थ्य योजना में मधुमेह, हृदय रोग, अस्थमा या कैंसर जैसी पहले से मौजूद स्थितियों में भी पूरा कवर मिलता है। वेटिंग पीरियड की कोई बाध्यता नहीं है। यह विशेषता गरीबों के लिए बीमा को वास्तव में कारगर बनाती है क्योंकि गरीब तबके में पहले से मौजूद बीमारियों का प्रतिशत अधिक है।
राष्ट्रीय स्तर पर अस्पताल नेटवर्क
देश भर में 25,000 से अधिक सरकारी और प्राइवेट अस्पताल इस भारत की नई बीमा नीति के तहत इलाज की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। लाभार्थी किसी भी राज्य के एमपैनल्ड अस्पताल में जाकर नि:शुल्क इलाज प्राप्त कर सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के डैशबोर्ड के अनुसार अब तक 1.2 करोड़ से अधिक सफल उपचार किए जा चुके हैं और इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
अतिरिक्त सुविधाएं और सेवाएं
इस योजना में टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14555 उपलब्ध है जहां से लाभार्थी अपने नजदीकी अस्पताल, कवर की गई बीमारियों और दस्तावेजों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। टेलीमेडिसिन सुविधा के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज विशेषज्ञ डॉक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा परामर्श ले सकते हैं। ये सभी सुविधाएं इस मुफ्त हेल्थ कवर को गरीबों के लिए और भी उपयोगी बनाती हैं।
सरकारी बीमा नीति का क्रियान्वयन: चुनौतियाँ और समाधान
राज्यों के साथ समन्वय और भागीदारी
इस स्वास्थ्य बीमा योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मजबूत समन्वय जरूरी है। कई राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक ने अपनी राज्य-विशिष्ट योजनाओं को इसके साथ इंटीग्रेट किया है। हालांकि, कुछ राज्यों में अभी भी कार्यान्वयन धीमा है। स्वास्थ्य सुरक्षा के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए सभी राज्यों का पूर्ण सहयोग आवश्यक है ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति लाभ से वंचित न रह जाए।
सरकार ने राज्यों के साथ लचीला मॉडल अपनाया है जिसमें वे अपनी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार योजना को कस्टमाइज कर सकते हैं।
प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाना
भारत की नई बीमा नीति की सफलता के लिए प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी महत्वपूर्ण है क्योंकि 70% स्वास्थ्य सेवाएं निजी क्षेत्र द्वारा प्रदान की जाती हैं। कई अस्पताल कम दरों का हवाला देकर योजना से जुड़ने में हिचकिचा रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने कुछ प्रक्रियाओं के दरों में संशोधन किया है और भुगतान प्रक्रिया को 15 दिनों से घटाकर 7 दिन कर दिया है। इससे प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
धोखाधड़ी रोकने के उपाय
कुछ अस्पतालों द्वारा गलत तरीके से क्लेम करने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने एआई-आधारित फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम लागू किया है। इसके अलावा बायोमेट्रिक ओटीपी और फेस रिकग्निशन सिस्टम के जरिए मरीजों की पहचान सत्यापित की जाती है। गरीबों के लिए बीमा के तहत होने वाली धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान
एक बड़ी चुनौती ग्रामीण इलाकों में इस मुफ्त हेल्थ कवर के बारे में जानकारी का अभाव है। इसके समाधान के लिए सरकार ने ‘जन आरोग्य अभियान’ शुरू किया है जिसमें आशा कार्यकर्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों और स्कूल शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ग्राम सभाओं में योजना की जानकारी दी जा रही है और मोबाइल वैन के जरिए दूरदराज के गांवों में रजिस्ट्रेशन कैंप लगाए जा रहे हैं।
आयुष्मान भारत योजना के साथ तुलना: क्या है नया?
कवरेज और लाभों में प्रमुख अंतर
पुरानी आयुष्मान भारत योजना और इस नई सरकारी बीमा नीति में सबसे बड़ा अंतर कवरेज राशि का है। पहले 5 लाख रुपये का कवर केवल गंभीर बीमारियों तक सीमित था, जबकि अब सभी प्रकार के उपचार इसके दायरे में आते हैं। दूसरा बड़ा बदलाव यह है कि पहले केवल 40% गरीब परिवार ही पात्र थे, लेकिन अब 60% आबादी को स्वास्थ्य सुरक्षा का लाभ मिलेगा। यह परिवर्तन ग्रामीण विकास मंत्रालय के 2024 के सर्वेक्षण के आधार पर किया गया है।
इस नई नीति ने सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह किया है कि अब सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए भी 50,000 रुपये तक का कवर उपलब्ध है।
डिजिटल प्रक्रिया में सुधार
पुरानी योजना में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जटिल थी और दस्तावेजों की जांच में समय लगता था। भारत की नई बीमा नीति में पूरी तरह डिजिटल सिस्टम लागू किया गया है जिसमें आधार-आधारित ई-क्यूआर कोड कार्ड से तुरंत वेरिफिकेशन हो जाता है। अस्पतालों के लिए क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और अब यह औसतन 5 दिनों में पूरा हो जाता है। इससे बीमा लाभ का लाभ लेने में आसानी हुई है।
अतिरिक्त बीमारियों को कवर किया गया
नई योजना में मानसिक स्वास्थ्य उपचार, फिजियोथेरेपी और पैलिएटिव केयर जैसी सेवाओं को भी शामिल किया गया है जो पहले कवर नहीं थीं। गंभीर दुर्घटनाओं के मामले में कवरेज सीमा 5 लाख से बढ़ाकर 7.5 लाख रुपये कर दी गई है। ये बदलाव विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर किए गए हैं ताकि गरीबों के लिए बीमा अधिक व्यापक हो सके।
निगरानी तंत्र को मजबूत बनाया गया
पुरानी योजना में निगरानी के अभाव के कारण कई जगहों पर दुरुपयोग की घटनाएं हुईं। इस सरकारी स्वास्थ्य योजना में रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया गया है जिसमें हर उपचार का विवरण केंद्रीय सर्वर पर अपडेट होता है। राज्य स्तर पर स्वतंत्र ऑडिट टीमों का गठन किया गया है जो यादृच्छिक रूप से अस्पतालों का निरीक्षण करती हैं। इससे नि:शुल्क इलाज व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ी है।
कैसे सुनिश्चित होगी स्वास्थ्य सुरक्षा? भविष्य की रूपरेखा
हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
इस मुफ्त हेल्थ कवर योजना की दीर्घकालिक सफलता के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना जरूरी है। सरकार ने 2027 तक देश के हर जिले में कम से कम एक मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाने का लक्ष्य रखा है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करके हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बदला जा रहा है। इन सभी कदमों से भारत की नई बीमा नीति को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।
सरकार ने अगले पांच वर्षों में स्वास्थ्य बजट को GDP के 2.5% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है जो वर्तमान में 1.8% है।
डॉक्टर-रोगी अनुपात में सुधार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार प्रति 1,000 जनसंख्या पर कम से कम एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत में यह अनुपात 0.8 है। इस समस्या के समाधान के लिए नई स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही सरकारी सेवा में डॉक्टरों को आकर्षित करने के लिए वेतन संरचना में सुधार और ग्रामीण सेवा के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
निवारक स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस
इस सरकारी बीमा नीति की सबसे प्रगतिशील बात यह है कि इसमें उपचार के साथ-साथ रोकथाम पर भी जोर दिया गया है। हर लाभार्थी परिवार को वार्षिक स्वास्थ्य जांच की सुविधा दी जाएगी। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत हर नागरिक का डिजिटल हेल्थ आईडी बनाया जाएगा जिसमें उसका पूरा मेडिकल रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा। इससे स्वास्थ्य सुरक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार होगा।
टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन का विस्तार
भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बीमारियों की प्रारंभिक पहचान और निदान में किया जाएगा। गरीबों के लिए बीमा के तहत मोबाइल हेल्थ यूनिट्स को और अधिक सक्षम बनाया जा रहा है जो दूरदराज के गांवों में जाकर बुनियादी जांच और उपचार की सुविधा दे सकेंगी। टेली-आईसीयू जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं के विस्तार से ग्रामीण अस्पतालों को बड़े मेडिकल संस्थानों से जोड़ा जाएगा।
FAQs: नि:शुल्क इलाज Qs
दोस्तों, जैसा कि हमने इस पोस्ट में विस्तार से समझा, भारत की नई बीमा नीति वास्तव में गरीबों के लिए वरदान साबित होने वाली है। यह योजना न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करेगी बल्कि लाखों परिवारों को मेडिकल खर्चों के कारण गरीबी में जाने से बचाएगी। अगर आप या आपके जानने वाले इसके पात्र हैं, तो तुरंत रजिस्ट्रेशन कराएं और इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें।
आपका एक शेयर किसी गरीब की जिंदगी बचा सकता है! इस पोस्ट को व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें ताकि यह जानकारी हर जरूरतमंद तक पहुंच सके। स्वास्थ्य से जुड़े अपडेट्स पाने के लिए हमारे न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करना न भूलें। कोई सवाल हो तो कमेंट में पूछें!

Editor-in-Chief • India Policy • LIC & Govt Schemes
Vikash Yadav is the Founder and Editor-in-Chief of Policy Pulse. With over five years of experience in
the Indian financial landscape, he specializes in simplifying LIC policies, government schemes, and
India’s rapidly evolving tax and regulatory updates. Vikash’s goal is to make complex financial
decisions easier for every Indian household through clear, practical insights.




